Sunday, May 16, 2010

प्रस्थान आज ही होगा

एक कदम तो बढ़ा कर देखो आगे
प्रस्थान आज ही होगा
वैमनस्य की जंज़ीरो को हिला कर तो देखो
संहार आज ही होगा ..... १

कांटो से भरी है राह तो क्या हुआ
उस पे आगे बढ़ना होगा
पाँव डगमगायेंगे , चीत्कार होगा,
डर के बैठने की बारी नहीं है अब
प्रहार आज ही होगा ..... २

एक सपना टूट गया है , बिखर गए मोती
पिरोना है आज उन्हें फिर से
मालाहार आज ही होगा
लाना है एक ऐसा युग
जहा निष्कासन हो निराशा का
निर्माण आज ही होगा ... ३

थमने के सौ बहाने मिलेंगे,
रुकना नहीं है लेकिन,
एक कदम तो बढाकर देखो आगे,
प्रस्थान आज ही होगा .... ४

- अमित

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