अब थकने लगा हूँ मैं ...
अकेला चला था ,अकेला ही चल रहा हूँ
आँधियों से बचता हुआ, दीपक की तरह ज़ल रहा हूँ,
न जाने कब रुकेगा यह कारवां , कब थमेगी यह दौड़ ,
अब थकने लगा हूँ मैं, नहीं दिख रहा उजाला किसी ओर ....१
जब झाँक के देखता हूँ , खुद में मैं कहीं, तो खुद पे ही मुस्कुराता हूँ मैं,
और अपनी ही हस्ती को देखकर , शायद खुद से ही ज़ल जाता हूँ मैं
कब रुकेगी यह उदेड्बुन , कब रुकेगा यह शोर,
अब थकने लगा हूँ मैं, नहीं दिख रहा उजाला किसी ओर ..... २
इस तेज़ दौड़ती हुई ज़िन्दगी में, सब तेज रफ़्तार से चले जा रहे हैं
न जाने कौनसे अनजाने लक्ष्य की तरफ बिना रुके बढे जा रहे हैं
कब ख़तम होगी यह रात, कब आएगी भोर
अब थकने लगा हूँ मैं, नहीं दिख रहा उजाला किसी ओर .... ३
ज़िन्दगी के दोराहों पर, अक्सर एक दोस्त की कमी खलती है
और सच्चे दोस्त के बिना , कभी कभी एक बोझ सी लगती है
नहीं चला जाता अब अकेले, नहीं चलता कोई जोर ,
अब थकने लगा हूँ मैं, नहीं दिख रहा उजाला किसी ओर ....४
अमित
:) Good one :D... way to go dude!!!
ReplyDeleteLooking fwd to some more when u r high :)
good one brother........
ReplyDeletebut one thing want to say that title is in english and whole kavita is in hindi.....
title bhi hindi hi likh leta i.e "jab main kam tha" :-)
This comment has been removed by the author.
ReplyDelete